बीम और स्लैब की कंक्रीटिंग करने से पहले जानने योग्य बातें

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सामान्य रूप से जब बीम और स्लैब कांक्रीटिंग के लिए तैयार है यानी रिइन्फोर्समेंट पूरी तरह से बंधा है तब ही जाँच की जाती है लेकिन आदर्श पद्धति इसे दो चरणों में जांचने की है यानी

01. इससे पहले कि आप रिइन्फोर्समेंट रखें, सबसे पहले फॉर्मवर्क को जांच लें। यह जरूरी है क्योंकि फॉर्मवर्क की गडबडियों को सुधारा नहीं जा सकता या रिइन्फोर्समेंट को अपनी स्थिति में रखने के बाद सुधारना कठिन होता है।
02. रिइन्फोर्समेंट को जांचना
इसीलिए एक मानक इंजीनियरिंग की पद्धति के रूप में व्यक्ति को चाहिए कि वह रिइन्फोर्समेंट रखने या बांधने से पहले फोर्मवर्क की जांच करे।

01. सेंटरिंग और शटरिंग/ फोर्मवर्क

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  • पहले शटरिंग प्लेट्स की गुणवत्ता जांचें। असमान सतह और क्षतिग्रस्त किनारोंवाली प्लेट्स का उपयोग करना टालें। उन्हें सामान्य आकार का होना चाहिए।
  • यदि प्लायवुड का उपयोग किया जाता है तो इसे बीडब्ल्यूपी ग्रेड का होना चाहिए और नम व सूखी स्थितियों के अंतर्गत टिकाऊ होना चाहिए।
  • रिइन्फोर्समेंट को बांधने से पहले इंजीनियर इन चार्ज या सुपरवाइजर से शटरिंग के लिए मंजूरी लें।
  • इंजीनियर इन चार्ज या सुपरवाइजर को रिइन्फोर्समेंट अपनी स्थिति में रखने से पहले ढलान, स्लैब्स का स्तर और बीम को जॉंचना चाहिए। रिइन्फोर्समेंट को बांधना शुरू करने से पहले भी प्राथमिक जांच कर लेनी चाहिए।
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  • शटरिंग को कंक्रीट का भार और कंक्रीट रखने तथा कंपन के प्रभाव को झेलने के लिए पर्याप्त रूप से मजबूत होना चाहिए।
  • शटरिंग प्लेट्स पर ऑयल या मोल्ड रिलीज एजेंट लगाया जाना चाहिए ताकि कंक्रीट को शुरूआती मजबूती मिलने के बाद आसानी से निकाला जा सके।
  • ढलवा/सीलिंग पर १२ एमएम व्यास वाले पीवीसी पाइप निप्पल्स को पहले से लगाया जाना चाहिए। स्लैब का कांक्रीटीकरण होने के बाद सीमेंट के मसाले के लिए ये निप्पल्स उपयोगी होंगे।
  • ढलवां छत की कंक्रीटिंग करते समय आप चाहे कितनी ही सावधानी बरतें लेकिन ग्राउटिंग की जरूरत होती ही है, स्लैब से रिसाव होता है। ग्राउटिंग से रिसाव घटेगा।
  • बीम की गहराई के अनुसार हर कॉलम पर एक लेवल का चिन्ह लगाएं।
  • बीम बॉटम सपोर्ट की स्थिति और लेवल बीम की गहराई के अनुसार होनी चाहिए।
  • बीम का तल वाला पटरा सीधा होना चाहिए। वह मुडा हुआ नहीं होना चाहिए।
  • बीम बॉटम के जोड ठीक से लगे होने चाहिए ताकि कंक्रीटिंग के दौरान फॉर्मवर्क लटक न जाए।
  • बीम साइड्स देने से पहले, बीम बॉटम का लेवल जॉंचना चाहिए।
  • बीम बॉटम को लेवलिंग करने के बाद ब्रेसिंग दी जानी चाहिए।
  • हर छोर पर बीम के किनारों का प्लंब लाइन डोरी की मदद से जॉंचना चाहिए। बीम कॉलम की शटरिंग प्लंब और वॉटरटाइट होनी चाहिए।
  • बीम साइड्स में फॉर्मवर्क जॉइंट्स को बीम के अंत में लिया जाना चाहिए।
  • स्लैब डालने से पहले कॉलम कैप, बीम जंक्शन्स, बीम साइड से लेकर स्लैब बॉटम जंक्शन तक और बीम के किनारे से लेकर बीम के बॉटम जंक्शन तक तथा दो प्लेट्स के बीच जोड पर ध्यान देते हुए सभी शटरिंग गैप्स को ठीक से बंद करना चाहिए।
  • किसी भी जगह गबडी को टालने के लिए तालमेल योग्य प्लेट्स (गबडी या गैप प्लेट) का उपयोग किया जाना चाहिए। छोटी गबडी की मरम्मत करने के बारे में ठेकेदार लापरवाह होते हैं। यह कंक्रीट की मजबूती को प्रभावित करता है।
  • ऐसे मामलों में, ठेकेदार कबाडी की सामग्री का उपयोग करते हैं जहां पर शटरिंग प्लेट्स को लगाना संभव नहीं होता और स्लैब का तल समान स्तर पर नहीं होता। यह प्लास्टर की मोटाई को प्रभावित करता है।
  • स्लैब की मोटाई को स्लैब के किनारे पर स्लैब की मोटाई के अनुसार चिन्हित किया जाना चाहिए।
  • लकडी के प्रॉप्स को जहां तक संभव हो टाला जाना चाहिए। यदि लकडी के प्रॉप्स का उपयोग किया जाता है तो जॉंच लीजिए कि वह मजबूत है, उपयुक्त आकार का है, और वे प्लंब है और यह भी देखिए कि उससे कोई वह जोइंटड न हो।
  • प्रॉप्स को ट्यूब्स और फिक्स्ड कपलर्स द्वारा दोनों दिशाओं में ब्रेस्ड होने चाहिए।
  • लकडी के पटरों की सिफारिश नहीं की जाती है क्योंकि सतह के विकारों के कारण वे असमान सतह देते हैं जिसके परिणामस्वरूप सीलिंग प्लास्टर की मोटार्ई बढ जाती है।
  • सभी प्रॉप्स को उचित रेखा, और लंबवत्‌ में होना चाहिए और २०% से अधिक प्रॉप्स जोइंटड वाले नहीं होने चाहिए। प्रॉप्स को टेढा नहीं होना चाहिए।
  • सारे प्रॉप्स को खूंटी और क्रॉस ब्रेसिंग देते हुए खडी स्थिति में होना चाहिए। कद का तालमेल बिठाने के लिए प्रॉप्स के नीचे ईंट या ब्लॉक्स का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। ठेकेदार प्रॉप्स को काटने की झंझट से बचने के लिए प्रॉप्स को तिरछी स्थिति में लगाते हैं या प्रॉप के नीचे ज्यादा पैकिंग देते हुए छोटे प्रॉप का उपयोग करते हैं। ये खतरनाक होता है और कंक्रीटिंग करते समय ये फिसल सकते हैं और कैंटीलीवर फोर्मवर्क नाकाम हो सकता है।
  • अकेले प्रॉप को दोनों तरफ से ब्रेस लगाया जाना चाहिए और निरंतर रनर्स और प्रॉप सिस्टम को समांतर रूप से ब्रेस किया जाना चाहिए।
  • लकडी के प्रॉप्स और के मामले में प्रॉप्स के बीच मध्य से मध्य की दूरी ०.६० मी (२.०’) होनी चाहि एम एस प्रॉप्स 1 मी. होनी चाहिए
  • जब कैंटीलीवर स्लैब (बालकनी के लिए) को पहली मंजिल पर लगाया जाता है तब अधिक ध्यान रखने की जरूरत होती है। इस मामले में आइए हम मान लें कि प्लिंथ की ऊंचाई ०.९ मीटर औ फर्श की ऊंचाई ३ मीटर है तो प्रॉप्स की कुल ऊंचाई ३.९ मीटर होगी। इस मामले में, कभी कभी ऐसा हो सकता है प्रॉप्स को नई भरी गई मिट्टी पर लगाया जाता है। उस समय भरी गई मिट्टी पर उन प्रॉप्स को कैंटीलीवर स्लैब के लिए लगाए जाने से पहले अस्थाई पी।सी।सी। किया जाना चाहिए। भरी गई मिट्टी को ठीक से दबाया जाना / तराई किया होना चाहिए।
  • अस्थायी पीसीसी लगाने का कारण ये है कि नई भरी गई मिट्टी सेटल हो जाती है और कैंटीलीवर स्लैब धंस सकता है।
  • बडे विस्तार वाले बीम में मध्य में और कैंटीलीवी बीम अंत में ड्रॉइंग के अनुसार उपयुक्त केंबर प्रदान किया जाना चाहिए।
  • जब बीम का विस्तार ६ से ९ मीटर होता है तो बीम के मध्य में केंबर प्रदान किया जाना चाहिए। यह संभव है कि जब विस्तार और गहराई का अनुपात बरकरार नहीं रखा जाता है तो मध्य में दबने की संभावना बढ सकती है। बडे बीम के दबावों को जांचने के लिए इस साइट एक्सपेरिमेंट का पालन कीजिए।
  • कंक्रीटिंग  के दौरान दबाव हो रहा है या नहीं (विशेषकर लंबे विस्तार के बीच के मामले में) मैच बॉक्स की तकनीक अपनाइए। एक प्रॉप लीजिए और उसे खाली मैच बॉक्स के साथ प्रॉप के शीर्ष पर बीम के मध्य में रख दीजिए (बीम शटरिंग और प्रॉप के बीच जगह छोडिए)। एक बार कास्टिंग हो जाने पर यदि खाली मैचबॉक्स कुचल जाता है तो यह साफ तौर पर कहा जा सकता है कि दबाव पडा है।
  • यदि यह दबता है और यदि यह दबना अनुमत सीमाओं से अधिक है तो यह गंभीर बात है और तुरंत अपने स्ट्रक्चरल इंजीनियर से सलाह लीजिए ताकि आपको सही इंजीनियरिंग समाधान मिल सके।
  • केंबर प्रदान करने से बीम के लंबे विस्तार में विशेषकर दबाव का जोखिम न्यूनतम हो सकता है। यह कंक्रीट के कठोर होने के बाद भी हो सकता है।
  • एम.एस. प्रॉप्स का उपयोग तब किया जाना चाहिए जब स्टेजिंग की ऊंचाई ३.६ मी. (१२”) से अधिक होती है।
  • सारा कूडा निकालिए जैसे धूल, कागज, पत्तियां, लकडियों की खपच्चियां, कीलें, रिइन्फोर्समेंट के अवशेष, मिट्टी के कण इ।
  • कंक्रीट रखने से पहले स्लैब की शटरिंग पर थोडा पानी छिडकें।

02. रिइन्फोर्समेंट 

  • रिइन्फोर्समेंट स्टील को किसी भी ढीले कण, धूल, कीचड या तेल से मुक्त होना चाहिए।
  • स्लैब के लिए आवश्यकता के अनुसार बीम रिइन्फोर्समेंट को काटना चाहिए और बीम की कुल संख्या के लिए होना चाहिए। कटिंग बार्स की अतिरिक्त लंबाई के कारण अनुचित एंड कवर ज्यादा हो जाता है।
  • सुनिश्चित करें कि स्लैब कास्टिंग के लिए प्रयुक्त कवर ब्लॉक्स और बीम को कंक्रीट के अनुसार समान ग्रेड का होना चाहिए। वे टूटे न हों और ठीक स्थिति में लगे हों तथा कंक्रीटिंग के काम के दौरान इनमें कोई रुकावट न आए।
  • स्लैब बॉटम, बीम बॉटम और किनारे की दीवारों के लिए रिइन्फोर्समेंट को उचित कवर प्रदान किया जाना चाहिए।

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  • कॉंक्रीट का काम करने से पहले बार बेंडिंग सारणी के साथ रिइन्फोर्समेंट की बारीकियों जांच लें और स्ट्रक्चरल कंसल्टेंट से मंजूरी लें।
  • स्लैब का रिइन्फोर्समेंट उपयुक्त तालमेल में होना चाहिए और स्लैब के बेंट सलिये को उठाकर कवर के बिना स्लैब की मोटाई से १२.५ मिमी कम ऊंचाई का रखना चाहिए।
  • सुनिश्चित करें कि रिइ्न्फोर्समेंट का आकार और अंतर ड्रॉइंग के अनुसार हो, खासकर स्लैब या बीम के मुख्य रिइन्फोर्समेंट में
  • बीम बार्स का पूरा आधार कॉलम पर दिया जाना चाहिए।
  • बीम बार्स को कॉलम रिइन्फोर्समेंट में से पूरी गुजरना चाहिए।
  • कैंटीलीवर स्लैब रिइन्फोर्समेंट और उठाए गए बेंट हुए बार्स के लिए एम।एस। चेयर्स प्रदान की जानी चाहिए।
  • विस्तृत ड्राइंग के साथ बीम या स्लैब के लेप को जांचें। लैब को बीम या स्लैब के मध्य में कभी नहीं रखें यदि उनका विस्तार लंबा हो। लेप को एक छोडकर एक की पद्धति में रखें मतलब इसे स्टैगर्ड पद्धति में होना चाहिए।
  • विस्तृत ड्रॉइंग के अनुसार बीम-कॉलम जॉइंट को जांचें – वह फ्लेक्सिबल होगा या रिजिड।
  • मोडे गए बार्स को विस्तृत ड्रॉइंग के अनुसार होना चाहिए।
  • देखिए कि कैंटीलीवर बीम का रिइन्फोर्समेंट ऊपर है और साथ यह भी सुनिश्चित करें कि कैंटीलीवर बीम में प्रति संतुलन (काउंटर बैलेंस) समुचित रूप से अंदर दिया गया हो यानी टॉप बार्स को मुख्य बीम या स्लैब्स में समुचित रूप से लिया गया हो (कैंटीलीवर की लंबाई का कम से कम दोगुना)।
  • तेल को रिइन्फोर्समेंट के सतह के साथ संपर्क में नहीं आना चाहिए। इससे जोड (बॉन्ड) घट जाएगा।
  • बीम्स और कॉलम्स के जंक्शन पर स्टिरप्स अवश्य दीजिये प्रदान किए जाने चाहिए जिसे सामान्य रूप से टाला जाता है।
  • एलिवेशन की आवश्यतकता/भावी विस्तार/डोवेल्स और ऊपरी मंजिल के कॉलम के लिए प्रदान किया जाना चाहिए।
  • आवश्यकता के अनुसार बार्स को बालकनी/ सीढियों इत्यादि के लिए छोडा जाना चाहिए।
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