जल ही जीवन का सार है. सभ्यताएँ वही विकसित हुई हैं जहां पर पानी उपलब्ध था जैसे कि नदियों के किनारे. दैनिक जीवक की विभिन्न घरेलू गतिविधियों को पूरा करने के लिए पानी आवश्यक है. इसीलिए, पानी से जुड़ी व्यवस्था (जैसे पानी की आपूर्ति और जल निकासी) किसी भी गृह निर्माण के कार्य का अभिन्न अंग बन चुकी है. घर में पानी की व्यवस्था करना रेसिडेंशियल प्लंबिंग सिस्टम कहलाता है. यह एक जटिल काम है और इसका संस्थापन और रिपेयर करना भी काफी महंगा होता है. इस लेख में घर की प्लंबिंग से जुड़ी व्यवस्था के बारे में जानकारी दी गई है, जो उसकी डिजाइन, उद्देश्य, काम का तरीका और मेंटेनेंस समझने में काफी मददगार होगी.
रेसिडेंशियल प्लंबिंग सिस्टम गर्म और ठंडे पानी की आपूर्ति करनेवाली पाइपों, फिक्सचर्स और उपकरणों, निकासी की पाइपों, ट्रैप्स (जालियों), वेंट पाइप्स, पानी जुटाने की टंकियों इत्यादि का एक उलझा हुआ नेटवर्क है. ये सिस्टम या तो दीवारों के अंदर से लगाया जाता है जो दिखाई नहीं देता या फिर दीवारों पर लगाया जाता है.
अच्छी प्लंबिंग की व्यवस्था के उद्देश्य हैं
01. सही दाब और सही मात्रा में पर्याप्त पीने के पानी की सुरक्षित आपूर्ति करना.
02. पानी की बर्बादी न्यूनतम या कह लीजिए कि बिलकुल बर्बादी नहीं होने देने के लिए रिसावों को जांचना
03. किसी भी स्थिति में उपयोग में लाए जानेवाले पानी को निकासी के पानी में मिश्रित नहीं होना चाहिए.
04. घर से निकासी का पानी जुटाना और सक्षमता से उसका निपटारा करना.
05. बदबूदार गैसों को घर में दाखिल होने से रोकना और उन्हें आसानी से बाहर निकालना
06. घर से गंदा पानी बाहर निकालनेवाली ड्रेन पाइप सीवर लाइन्स या सेप्टिक टैंक तक ढलान के साथ जानी चाहिए, यह ढलान कम से कम प्रति फुट ढलान १.४ इंच, यानी २० एमए प्रति १ मीटर और अधिकतम ३ इंच प्रति फुट, यानी ८०एमएम प्रति १ मीटर होनी चाहिए.
07. निकासी की पाइपों को साफ करने के लिए मैनहोल्स की व्यवस्था करना
08. प्लंबिंग से जुड़े साधन, सामग्रियॉं और कारीगरी गुणवत्ता के स्तर पर बेहतरीन होनी चाहिए.
आवासीय प्लंबिंग सिस्टम के तीन आवश्यक हिस्से हैं
01. जल आपूर्ति सिस्टम (घर में पानी का प्रवाह)
02. फिक्सचर्स और साधन (जहां पानी को विभिन्न गतिविधियों को पूरा करने के लिए ले जाया जाता है)
03. निकासी की व्यस्था (उपयोग में लाया गया (निकासी का) का पानी जुटाना और उसका निपटारा करना)
ऊपर दिया गया चित्र घर की प्लंबिंग की व्यवस्था को दर्शाता है.
- नीले का अर्थ है ठंडे पानी की आपूर्ति
- लाल का अर्थ है गर्म पानी की आपूर्ति
- हरे का अर्थ है निकासी की व्यवस्था
- पीले का अर्थ है वेंट (एयर) की व्यवस्था
आवासीय प्लंबिंग सिस्टम के काम का तरीका:
a) जल आपूर्ति की प्रणाली:
- उपयोग में लाए जानेवाले पानी की आपूर्ति नगरपालिका या निजी जल आपूर्ति कंपनी या व्यक्तिगत भूमिगत बोर वेल से होती है.
- यह पानी मेन सप्लाई लाइन (यानी मेन्स) के ज़रिए घर में आता है. घर में पानी की आपूर्ति या तो सीधे जल आपूर्ति प्रणाली या अप्रत्यक्ष जल आपूर्ति प्रणाली से होती है. जल आपूर्ति प्रणाली के नेटवर्क की डिजाइन इस बात पर निर्भर करती है कि पानी की आपूर्ति २४ * ७ होनी है या रुक रुक कर होनी है.
- सीधे जल आपूर्ति प्रणाली: घर के सभी वॉटर आउलेट्स को सीधे मेन्स से पानी मिलता है. उपयोग में लाया जाने वाला पानी सभी नलों में उपलब्ध होता है. यह उसी जगह पर संभव है जहां पर पानी का स्रोत २४ * ७ ऊँचे दाब के साथ पानी की आपूर्ति करता है, जो कि सभी नलों तक समुचित दाब के साथ पानी पहुंचाने के लिए पर्याप्त होता है.
- अप्रत्यक्ष जल आपूर्ति प्रणाली: मेन्स से पानी को भंडारण वाली टंकियों तक पहुंचाया जाता है. उसके बाद पानी स्टोरेज टैंक से घर तक पहुंचाया जाता है. यह प्रणाली वहां अपनाई जाती है जहां पर मेन्स से पानी की आपूर्ति दिन भर उपलब्ध नहीं होती. इसका उपयोग तब भी होता है जब मेन्स में पानी का दाब सभी नलों तक पानी पहुंचाने के लिए पर्याप्त नहीं होता.
- मेन सप्लाई लाइन (अप्रत्यक्ष जल आपूर्ति प्रणाली के मामले में नीचे जानेवाली पाइप) उसके बाद दो शाखाओं (ब्रांचेस) में विभाजित होती है. एक ब्रांच लाइन पानी को हीटर तक और दूसरी ब्रांच लाइन ठंडा पानी ले जाती है.
- वॉटर हीटर से गर्म पानी की लाइन ठंडे पानी की लाइन के समांतर चलती है. दोनों लाइनें पूरे घर में फिक्सचर्स और अप्लायंसेस तक पानी ले जाती हैं.
- इस तरह से ये मूलत: पानी के वितरण और आपूर्ति के लिए पाइपों का नेटवर्क होता है.
- भूमिगत और ओवरहेड टैंक तथा पानी की पंपिंग पर भी सतर्कता से ध्यान देने की जरूरत है.
- कभी कभी बूस्टर पंप्स भी लगाए जाते हैं ताकि पानी को समान और समुचित दाब पर पहुंचाया जा सके.
b) फिक्सचर्स और अप्लायंसेस:
- विभिन्न सैनिटरी फिक्सचर्स और अप्लायंसेस घर में लगाए जाते हैं.
- फिक्सचर्स: सिंक्स, बाथटब्स, शॉवर्स और लॉन्ड्री टब्स (टॉयलेट्स और बाहरी सिलकॉक्स (बिब्स) में केवल ठंडे पानी की लाइन जरूरी होती है)
- अप्लायंसेस: वॉटर हीटर्स, डिशवॉशर्स, वॉशिंग मशीन, वॉटर सॉफ्टनर्स
- सभी फिक्सचर्स और अप्लायंसेस को अलग दाब और प्रवाह से पानी की जरूरत होती है. फिक्सचर्स और अप्लायंसेस में दाब १.२ किग्रा/ सेमी २ (१२ एम हेड) से कम नहीं होना चाहिए और ५ किग्रा/सेमी २ (५० एम हेड) से अधिक नहीं होना चाहिए. फिक्सचर्स की ऊंचाई तय करते समय ख्याल रखना चाहिए ताकि पर्याप्त पानी का दाब उपलब्ध हो.
- फिक्सचर्स और अप्लायंसेस में पानी का नियंत्रण पॉसेट्स (नलों) और वॉल्व द्वारा किया जाता है.
- आज कल आधुनिक फॉसेट्स उपलब्ध हैं जिनमें बेसिक न्यूनतम दाब उपलब्ध होता है और जिसके लिए बढिया हायड्रॉलिक डिजाइन आवश्यक होती है.
c) ड्रेनेज या निकासी जल का निपटारा:
- उसके बाद उपयोग में लाया गया पानी निकासी की प्रणाली (वेस्ट वॉटर सिस्टम) में प्रवेश करता है.
- ड्रेनेज की पाइप्स में प्रवेश करने से पहले, उपयोग में लाया गया पानी सबसे पहले ड्रेनेज ट्रैप्स में से गुजरता है.
- ट्रैप: ये U आकार की पाइप होती है. इसमें पानी थमा रहता है और गंदे पानी की बदबू भरी गैसों को कमरे में प्रवेश करने और फैलने से रोकता है.
- ड्रेनेज सिस्टम पूरी तरह से गुरुत्व बल पर काम करता है. सारा गंदा पानी बडे व्यास वाली पाइपों की श्रृंखला से होकर नीचे की तरफ गुजरता है.
- ड्रनेज (निकासी) पाइप्स वेंट पाइप्स के सिस्टम से जुडी होती हैं.
- वेंट पाइप: वेंट पाइप्स का ऊपरी सिरा खुला होता है जहां से वे ताजा हवा ड्रेनेज सिस्टमें लाती हैं और ड्रेनेज का पानी नीचे की तरफ प्रवाहित होता है. ये पाइपें छत के ऊपर से निकलती हैं.
- सारा गंदा पानी उसके बाद मेन वेस्टवॉटर लाइन में पहुंचता है, जो घर से बाहर निकलता है और जो या तो म्युनिसिपल सीवर लाइन से जुडा होता है या सेप्टिक टैंक और सेसपिट से जुडा होता है जहां पर सीवर लाइन उपलब्ध नहीं होती.
ड्रेनेज सिस्टम के मामले में, सडक पर ग्रैविटी फ्लो (ढलान की ओर प्रवाह) के लिए इंस्पेक्श चैंबर्स या मैनहोल के इनवर्ट लेवल्स बहुत ही महत्वपूर्ण होते हैं. उपरोक्त के अलावा वर्षा जल की निकासी और आग से सुरक्षा की प्रणाली भी आधुनिक घरों का हिस्सा होती है.