जानिए फ्लेट‌ स्लेब और कन्वेंशनल स्लेब बीम सिस्टम के बीच का फर्क

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फ्लेट‌‌ स्लेब और कन्वेंशनल स्लेब बीम सिस्टम के बीच का मुख्य अंतर यह है कि एक जो है वह कॉलम द्वारा समर्थित किया जाता है जबकि दूसरी पद्धति में बीम का समर्थन होता है। फ्लेट‌‌ स्लेब में भार सीधा ही ‌‌स्लेब से कॉलम पर स्थानांतरित किया जाता है। कन्वेंशनल स्लेब बीम सिस्टम में वजन को ‌‌स्लेब से बीम पर और आखिरकार बीम से कॉलम पर स्थानांतरित किया जाता है।

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फ्लेट ‌‌स्लेब सिस्टम

  • फ्लेट‌‌ स्लेब सिस्टम में, फर्श/छत में दीवारें/स्लेब्स होते हैं और कोई भी बीम नहीं होते हैं।

कन्वेंशनल स्लेब बीम सिस्टम

  • कन्वेंशनल स्लेब बीम सिस्टम में, फर्श/छत में बीम और स्लेब होते हैं।

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फ्लेट ‌‌स्लेब सिस्टम

  • फ्लेट‌‌स्लेब सिस्टम में स्लेब की मोटाई ज्यादा होती है।

कन्वेंशनल स्लेब बीम सिस्टम

  • कन्वेंशनल स्लेब बीम सिस्टम में स्लेब की मोटाई कम होती है, जबकि उसकी गहराई ज्यादा होती है।

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फ्लेट ‌‌स्लेब सिस्टम

  • यह अधिक छत की ऊंचाई प्रदान करता है।

कन्वेंशनल स्लेब बीम सिस्टम

  • यह छत की ऊंचाई कम प्रदान करता है।

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फ्लेट ‌‌स्लेब सिस्टम

  • यहां वजन स्लैब से सीधा ही कॉलम पर स्थानांतरित होता है।

कन्वेंशनल स्लेब बीम सिस्टम

  • इसमें वजन स्लेब से बीम पर और फिर बीम से कॉलम पर स्थानांतरित होता है।

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फ्लेट ‌‌स्लेब सिस्टम

  • फ्लेट स्लेब सिस्टम में कम फोमवर्क की आवश्यकता होती है।

कन्वेंशनल स्लेब बीम सिस्टम

  • कन्वेंशनल स्लेब बीम सिस्टम में ज्यादा फोमवर्क की जरूरत होती है।

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फ्लेट ‌‌स्लेब सिस्टम

  • फॉमवर्क सरल होने के कारण महंगा नहीं होता है।

कन्वेंशनल स्लेब बीम सिस्टम

  • फॉमवर्क पेचीदा होने के कारण महंगा होता है।

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फ्लेट ‌‌स्लेब सिस्टम

  • ड्रॉप पेनल कॉलम के ऊपर प्रदान की जाती है।

कन्वेंशनल स्लेब बीम सिस्टम

  • कॉलम के ऊपर ड्रॉप पेनल की जरूरत नहीं होती है।

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फ्लेट ‌‌स्लेब सिस्टम

  • फ्लोर सिस्टम में कम गहराई की जरूरत पड़ती है और उसके कारण मंजिल की ऊंचाई कम होती है।

कन्वेंशनल स्लेब बीम सिस्टम

  • फ्लोर सिस्टम में ज्यादा गहराई की जरूरत पड़ती है और उसके कारण मंजिल की ऊंचाई भी फ्लेट स्लेब के मुकाबले ज्यादा होती है।
यह भी पढ़े: 18 विभिन्न प्रकार की फ्लोरिंग सामि‍ग्रयां

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फ्लेट ‌‌स्लेब सिस्टम

  • संरचना का जड़ भार (डेड लोड) कम होता है।

कन्वेंशनल स्लेब बीम सिस्टम

  • संरचना का जड़ भार(डेड लोड) ज्यादा होता है।

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फ्लेट ‌‌स्लेब सिस्टम

  • फ्लेट स्लेब सिस्टम में बीम्स के ना होने के कारण स्प्रिंकलर, पाइपिंग और अन्य उपयोगिताए लगाना बहुत आसान होता है।

कन्वेंशनल स्लेब बीम सिस्टम

  • कन्वेंशनल स्लेब बीम सिस्टम में बीम्स के होने के कारण स्प्रिंकलर, पाइपिंग और अन्य उपयोगिताए लगाना मुश्किल होता है।

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फ्लेट ‌‌स्लेब सिस्टम

  • फ्लेट छत उपलब्ध होती है जो आकर्षक रूप देती है।

कन्वेंशनल स्लेब बीम सिस्टम

  • फ्लेट आकर्षक रूप के लिए फ्लेट छत उपलब्ध नहीं होती है, इसीलिए आपको शायद कृत्रिम छत बनानी पड़ सकती है।

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फ्लेट ‌‌स्लेब सिस्टम

  • बीम्स के ना होने से रोशनी बेहतर होती है।

कन्वेंशनल स्लेब बीम सिस्टम

  • बीम्स के होने से रोशनी कन्वेंशनल स्लेब बीम सिस्टम जितनी प्रभाव शाली नहीं होती है।

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फ्लेट ‌‌स्लेब सिस्टम

  • स्लेब के नीचे ध्वनिक उपचार प्रदान करना आसान है।

कन्वेंशनल स्लेब बीम सिस्टम

  • स्लेब के नीचे ध्वनिक उपचार प्रदान करना मुश्किल है।

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फ्लेट ‌‌स्लेब सिस्टम

  • निर्माण के लिए प्रत्येक दिशा में कम से कम तीन निरंतर स्पेन्स की आवश्यकता होती है।

कन्वेंशनल स्लेब बीम सिस्टम

  • एकल स्लेब का निर्माण मुमकिन है।

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फ्लेट ‌‌स्लेब सिस्टम

  • लंबी पाट से छोटी पाट का अनुपात 2.2 से ज्यादा नहीं होना चाहिए।

कन्वेंशनल स्लेब बीम सिस्टम

  • लंबी पाट से छोटी पाट के अनुपात में कोई रुकावट नहीं होती है।

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फ्लेट ‌‌स्लेब सिस्टम

  • लाइव भार (लोड) डिजाइन जड़ भार से 3 गुना अधिक नहीं होगा।

कन्वेंशनल स्लेब बीम सिस्टम

  • लाइव भार(लोड) का डिजाइन जड़भार से कोई संबंध नहीं होता है।

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फ्लेट ‌‌स्लेब सिस्टम

  • फ्लेट स्लेब सिस्टम में स्लेब की मोटाई कम से कम 125 मिली मीटर होती हैं।

कन्वेंशनल स्लेब बीम सिस्टम

  • कन्वेंशनल स्लेब बीम सिस्टम में स्लेब की मोटाई कम से कम 100 मिली मीटर होती है।

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फ्लेट ‌‌स्लेब सिस्टम

  • मजबूती आम तौर पर दो परतों में प्रदान की जाता है।

कन्वेंशनल स्लेब बीम सिस्टम

  • मजबूती आम तौर पर एक परत में प्रदान की जाती है।

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फ्लेट ‌‌स्लेब सिस्टम

  • कन्वेंशनल स्लेब बीम सिस्टम के मुकाबले कम लचीला होने के कारण यह भूकंप का कम प्रतिरोधी है।

कन्वेंशनल स्लेब बीम सिस्टम

  • फ्लेट स्लेब सिस्टम से ज्यादा लचीला होने के कारण यह भूकंप का बेहतर प्रतिरोधक है।
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